CM से पूछेंगे : ग्राम सभा की सहमति के बिना कोयल खदान की अनुमति कैसे – हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति
· अवैध खदानों के खिलाफ सरगुजा
· गांधी जयंती पर खनन प्रभावित गांवों का सम्मेलन
· 4 अक्टूबर से रायपुर की पदयात्रा
· CM से पूछेंगे- ग्राम सभा की सहमति के बिना अनुमति कैसे
VM News desk Sarguja :-
बस्तर में फैले सिलगेर गोलीकांड के बाद असंतोष की आग अभीठंडी भी नहीं हुई है कि सरगुजा भी सुलगने लगा है। यह असंतोष का कारण हसदेव अरण्य क्षेत्र के गांवों-जंगलों में कोयला खदान खोलने की अनुमति के खिलाफ है। स्थानीय लोगों ने गांधी जयंती के दिन सरगुजा के फतेहपुर में खनन प्रभावित गांवों का सम्मेलन बुलाया है। इसके बाद ग्रामीणजन 4 अक्टूबर से राजधानी रायपुर की पदयात्रा पर रवाना हो जाएंगे। 6 जिलों को पार करती हुई यह पदयात्रा 11 अक्टूबर को रायपुर पहुंचेगी। यहां मुख्यमंत्री से मिलकर पूछा जाएगा कि पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्र में ग्राम सभा की वैध सहमति के बिना खनन को अनुमति कैसे मिल गई।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के उमेश्वर सिंह अर्मो ने बताया, पिछले एक दशक से इस क्षेत्र की ग्राम सभाएं कोल ब्लॉक आवंटन से लेकर भूमि अधिग्रहण और वन स्वीकृति की प्रक्रियाओं का विरोध करती आई हैं l इसके वाबजूद भी हमारे विरोध को नजरंदाज करते हुए खनन प्रक्रियाओं को लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा है। वर्तमान में यहां पांच नए कोल ब्लाकों की स्वीकृति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। जिससे कि हसदेव अरण्य क्षेत्र का 17 हजार एकड़ वन क्षेत्र नष्ट हो जाएगा। वहीं पूरे 6 गांव और लगभग 15 गांवों को आंशिक रूप से विस्थापित होना पड़ेगा।
स्थानीय गांव के ही जयनंदन सिंह पोर्ते ने बताया, जिस ग्राम सभा के आधार पर सरकार ने परसा कोल ब्लॉक को आवंटित किया था, वह ग्राम सभा कभी हुई ही नहीं थी। इसके खिलाफ हमलोगो ने 2019 में 75 दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री को सीएम हाउस जाकर ज्ञापन दिया था। इसमें फर्जी ग्राम सभा की जांच कर जिम्मेदार लोगो पर कार्रवाई करने और खनन आवंटन की सहमति को निरस्त करने की मांग थी। लेकिन अभी तक सरकार ने हमारी मांग का संज्ञान तक नहीं लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि खनन कम्पनी अब इस इलाके में खदान खोलने के लिए जबरन काम कर रही है। अगर उसे रोका जाता है तो स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारी ग्रामीणों जेल भेजने की धमकी देते हैं।
कब मिलि थी पर्यावरण संरक्षण मंडल से मंजूरी?
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने मार्च 2021 में परसा कोल ब्लॉक के लिए मंजूरी दी थी। जिसके तहत राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को सरगुजा जिले के गांव साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा और सूरजपुर जिले के जनार्दनपुर और तारा गांव स्थित 1 हजार 252 एकड़ जमीन पर खुली खदान और कोल वॉशरी लगाने की अनुमति दी गई थी। इस क्षेत्र के 841 एकड़ में घना जंगल है। इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस परियोजना को मंजूरी दे चुका है।
कया है कोल बियरिंग एक्ट?
भू अधिग्रहण कानून के तहत ग्राम सभाओं से सहमति मिलता न देखकर केंद्र सरकार इन्हीं वन और राजस्व की जमीनों के लिए कोल बियरिंग एक्ट लेकर आई थी। जिसके तहत जमीनों का अधिग्रहण शुरू हुआ था। उस समय वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस पूरी प्रक्रिया को गलत बताया था। कहा गया था, इस तरह के भूमि अधिग्रहण से पहले पूरे से भी नहीं पूछा गया है। “कोल बियरिंग एक्ट एक केंद्रीय कानून है, जिसके तहत सरकार उस जमीन का अधिग्रहण कर सकती है जिसमें कोयला है। इसके खिलाफ एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।“