नोटबुक के किनारों पर आपने रेड कलर की मार्जिन लाइन जरूर देखी होगी. यह मार्जिन लाइंस क्यों बनी होती हैं, इसका जवाब बहुत कम लोगों को मालूम होगा. इसको बनाने का मकसद क्या है, इसकी शुरुआत कैसे हुई, जानिए इन सवालों के जवाब…
नोटबुक के किनारों पर आपने रेड कलर की मार्जिन लाइन जरूर देखी होगी. यह मार्जिन लाइंस क्यों बनी होती हैं, इसका जवाब बहुत कम लोगों को मालूम होगा. नोटबुक पर इन मार्जिन लाइंस को बनाने का मकसद लेखन से बिल्कुल भी नहीं जुड़ा है. इसको बनाने का मकसद क्या है, इसकी शुरुआत कैसे हुई, जानिए इन सवालों के जवाब…
मार्जिन लाइन को क्यों बनाया गया है, इसको लेकर अलग-अलग मत हैं. कहा जाता है कि इसकी शुरुआत पेपर मैन्युफैक्चर्स ने की. इसकी वजह थी चूहे. दरअसल, चूहों के कारण पेपर को काफी नुकसान होता था. नतीजा, पेपर के किनारों को चूहे कुतर डालते थे. इस नुकसान से बचाने के लिए किनारों पर मार्जिन लाइन बनाई गई थी.
दूसरे मत के मुताबिक, पहले स्टैपलर्स नहीं होते थे. कॉपी को धागे से बांधा जाता था. कई बार धागे टूट जाते थे और पेपर किनारों से मुड़ जाते थे. इसलिए किनारों से कुछ जगह छोड़कर लाल रंग की लाइन बनाई ताकि किनारों पर मुड़ चुके कागज का असर लेखन पर न पड़ें. इस तरह नोटबुक पर लाइन की शुरुआत हुई.
वर्तमान दौर में इन मार्जिन लाइंस का एक और फायदा बताया गया है. कहा जाता है कि इन मार्जिन लाइंस के कारण पेपर पर लिखा लेख साफ नजर आता है और पढ़ने में आसानी होती है. हालांकि, सबसे प्रचलित मत चूहों से जुड़ा है. जिसमें कहा गया है कि पेपर को खराब होने से बचाने के ये लाइंस बनाई गई हैं.
हालांकि समय-समय के साथ-साथ मार्जिनल लाइन का इस्तेमाल घट रहा है. पहले नोटबुक और डायरी के पेजों पर इसे बनाया जाता था, अब धीरे-धीरे स्पाइरल नोटबुक और डायरी के चलने के कारण इनका इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद हो गया है.