सड़क या हाइवे किनारे आपने अक्सर पेड़ों की कतार देखी होगी. पेड़ के तने को सफेद रंग से रंगा हुआ देखा होगा. कभी सोचा है कि पेड़ों को सफेद रंग से क्यों रंगा जाता है? इसे पेड़ पर क्या फर्क पड़ता है?दरअसल, इसके पीछे भी विज्ञान है. पेड़ों को चूने से रंगने का कनेक्शन इनकी सुरक्षा से जुड़ा है. जानिए इससे पेड़ों पर क्या असर पड़ता है?
वैज्ञानिक तौर पर पेड़ों को सफेद रंग से रंगने के कई कारण हैं. इन्हें रंगने में चूने का प्रयोग किया जाता है.चूने से पुताई करने से पेड़ के हर निचले हिस्से में चूना पहुंचता है. इससे पेड़ में कीड़े या दीमक नहीं लगते और पेड़ की उम्र में इजाफा होता है. चूना पेड़ की बाहरी लेयर को सुरक्षित बनाने का काम करता है. एक्सपर्ट कहते हैं, बाहरी लेयर पर चूने की पुताई होने पर इसकी छाल फटती या टूटती भी नहीं है
कई पेड़ ऐसे होते हैं, जिन्हें ऊपर से काटा जा चुका होता है. फिर भी पूरे पेड़ को सफेद रंग से रंग दिया जाता है. इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है, पुताई में इस्तेमाल होने वाला सफेद रंग सूरज की सीधी किरणों से डैमेज होने वाली नई कोपलों को बचाता है. सफेद रंग के कारण नई कोपलों के डैमेज होने का खतरा घट जाता है.
पेड़ों को सफेद रंग में रंगने की एक और वजह है. लम्बी दूरी के रास्तों पर सफेद रंग में रंगे ये पेड़ स्ट्रीट लाइट न होने पर रास्ता बताने का काम भी करते हैं. अंधेरे में इन पर लाइट पड़ते ही यह साफ हो जाता है कि रास्ता कितना चौड़ा है. खासकर घने जंगलों वाले रास्ते में ऐसा जरूर किया जाता है और चालक को मदद मिलती है.
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, पेड़ों को रंगने के लिए कभी भी ऑयल पेंट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. पेड़ों की ग्रोथ पर इसका बुरा असर पड़ सकता है. अगर चूने का इस्तेमाल कर रहे हैं तो पानी की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए, ताकि पेड़ों को इससे किसी तरह नुकसान न हो.