ऐसा क्या हुआ कि अपनी ही इज्जत बचाने के लिए, सुपरस्टार जितेन्द्र को खुद के पैसों से ही खरीदना पड़ा खुद की ही फिल्म का टिकट

ऐसा क्या हुआ कि अपनी ही इज्जत बचाने के लिए, सुपरस्टार जितेन्द्र को खुद के पैसों से ही खरीदना पड़ा खुद की ही फिल्म का टिकट

वर्तमान मंथन/मुंबई । पिछले दशक के जाने माने सुपरस्टार जितेंद्र (Jeetendra) अब 79 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 7 अप्रैल, 1942 को पंजाब में हुआ था। जितेंद्र का असली नाम रवि कपूर है। वे 22 की उम्र में फिल्म गीत गाया पत्थरों ने से बतौर एक्टर बॉलीवुड में डेब्यू किये थे। कई सारे सुपरहिट फिल्मों में बतौर हीरो काम करने वाले जितेंद्र के लिए बॉलीवुड का सफर यू ही आसां नहीं रहा। उनके द्वारा फिल्मों में लीड रोल पाने के लिए खूब संघर्ष किया गया। सालों साल धक्के खाने के बाद उन्हें मुश्किल से लीड रोल मिल पाया था। अपने संघर्ष के दौरान एक बार तो यहा तक नौबत आ गई थी कि उनको अपना आत्मसम्मान बचाने के लिए खुद के ही पैसों से अपनी फिल्म का टिकट खरीदना पड़ा ।
आइए, जानते हैं कि आखिर उन्हें ऐसा क्यों करना पड़ा।

बात उस समय की है जब जितेंद्र बॉलीवुड की दुनिया में अपने पैर जमाने की कोशिश में लगे हुए थे। उस जमाने मे एक कैमरामैन हुआ करते थे जिनका नाम रविकांत नागाइच था। उस वक्त उन्होंने एक फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार कर लिया था और फिल्म का नाम फर्ज रखा था।
इस फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर उन्होंने उस जमाने के नामी गिरामी स्टार्स से मिले। चूंकि, यह रविकांत नागाइच के निर्देशक के तौर पर यह उनकी पहली फिल्म थी, इसलिए कोई भी एक्टर इसमें रोल करने का रिस्क नहीं लेना चाहते थे।

आखिरकार इस फिल्म मे बतौर एक्टर के लिए रविकांत ने जितेंद्र से बात की। जितेंद्र ने फिल्म की स्क्रिप्ट सुनते ही हामी भर दी। जितेंद्र के हां कहने के बाद फिल्म का काम चालू हुआ और फिल्म बनकर तैयार हुई। जितेंद्र और रविकांत दोनों की ही यही इच्छा थी कि यह फिल्म हिट हो।

फिल्म रिलीज होने के बाद बुरी तरह से पिट गई। रिलीज होने के बाद फिल्म का परिणाम बॉक्स ऑफिस पर काफी निराशाजनक रहा, जिससे रविकांत और जितेंद्र दोनों ही मायूस हो गए।

जितेंद्र उस दौरान कठिन संघर्ष से जूझ रहे थे, इसलिए उनको यह डर था कि अगर यह बात मार्केट में फैली तो उन्हें आगे कोई काम शायद नहीं देगा। इसके बाद उन्होंने यह फैसला किया कि वो स्वयं ही फिल्म के टिकट खरीदेंगे ताकि मार्केट में यह चर्चा रहे कि फिल्म चल रही है।

इस फिल्म को चलाने के लिए जितेंद्र ने अपनी पॉकेट से पांच हजार रुपए के टिकट खरीदे और यह टिकट उन्होंने फ्री में लोगों को बांटे। उसका नतीजा यह निकला कि कुछ ही हफ्तों बाद फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर उनके फिल्म ने बेहतरीन कलेक्शन किया। और यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई।

जितेंद्र का एक नाम जंपिंग जैक भी है। 60 से 90 के दशक तक हिंदी सिनेमा में अपनी धाक जमाने वाले जितेंद्र की चर्चाएं उनके अनोखे पहनावे के लिए तो होती ही हैं। इंडस्ट्री में वे एक ऐसे इकलौते एक्टर हैं, जिन्होंने अपने पूरे करियर में 80 रीमेक फिल्मों में काम किया।

उन्होंने अपने पूरे करियर में परिवार, जीने की राह, वारिस, खिलौना, हमजोली, बिदाई, धर्म वीर, जानी दुश्मन हिम्मतवाला, खुदगर्ज, फर्ज, गहरी चाल, जुदाई सहित कई शानदार फिल्मों में काम किया।

जितेंद्र आखिरी बार 2003 में आई फिल्म ‘कुछ तो है’ में नजर आए थे। इस फिल्म की प्रोड्यूसर उनकी बेटी एकता कपूर थीं, जबकि लीड एक्टर बेटे तुषार कपूर थे। फिल्म में हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल और टीवी एक्ट्रेस अनीता हसनंदानी भी हैं। फिल्म में जितेंद्र ने ऑनस्क्रीन तुषार कपूर के पापा का रोल निभाया था।