एसईसीएल के सीजीएम ने 5 दिनों में पात्र भुविस्थापितों को नोकरी के लिए जॉइनिंग लेटर देने दिया आश्वासन
कोरबा । एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा खदान विस्तार के लिए किए जा रहे भूमिपूजन कार्य का मौके पर पहुँच भू – विस्थापितों ने जमकर विरोध जताया। भू विस्थापितों ने स्टॉफ के साथ पहुंचे एसईसीएल कुसमुंडा के सीजीएम आर पी सिंह के समक्ष जमीन लेने के बाद भी नोकरी व मुआवजा नहीं दिए जाने पर आक्रोश जताते हुए खदान विस्तार के लिए भूमिपूजन कार्य नहीं होने की बात कही। आखिरकार प्रबंधन ने 5 दिनों के भीतर सभी प्रभावितों को जॉइनिंग लेटर दिए जाने का आश्वासन दिया,इसके बाद आक्रोशित भू-विस्थापितों ने अपना विरोध प्रदर्शन वापस किया।
मौके पर बड़ी संख्या में पहुंचे भू-विस्थापितों ने आरोप लगाया कि बरसों से उन्हें नोकरी व मुआवजा के लिए लटकाकर रखा गया है। इस बीच 3 सीजीएम यहाँ से सेवाएं देकर जा चुके हैं । बावजूद वे आज पर्यंत अपने हक से वंचित हैं। भू-विस्थापितों के आक्रोश की वजह से काफी समय तक गहमागहमी की स्थिति बनी रही। भूमिपूजन के लिए पहुंचे सीजीएम आरपी सिंह ने मौके पर ही भू -विस्थापितों को आश्वस्त किया कि जो भी नोकरी के लिए पात्र पाए गए हैं उन्हें 5 दिनों के भीतर जॉइनिंग लेटर दे दी जाएगी। जिसके बाद आश्वस्त भू-विस्थापित चले गए और भूमिपूजन के बाद काम शुरू किया गया। बताया गया कि जटराज के 9 और बरकुटा के 5 भू-विथापितों को नोकरी के लिए पात्र माना गया है। इनमें 6 महिला खातेदार भी शामिल हैं। जिनकी नोकरी की प्रक्रिया लंबित है। एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा कुसमुंडा खदान के बरकुटा फेस में मिट्टी कटिंग कर कोल उत्पादन करने भूमिपूजन किया गया। इस फेस में कार्य शुरू होने से कोल उत्पादन लक्ष्य बढऩे की संभावना जताई जा रही है।
बार बार मौका दिया नहीं किया काम,जायफर को दिखाया बाहर का रास्ता
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र द्वारा 45 मिलियन टन कोल उत्पादन करने के उपरांत कोल उत्पादन में गति लाने 3 निजी कंपनियों को अप्रैल 2020 में ओवरबर्डन(मिट्टी कटिंग)का ठेकाकार्य आबंटित किए गए थे । जिन्हें सितंबर 2020 में कार्य शुरू करना था । 2 कम्पनियों ने निर्धारित समयावधि में काम शुरू किया।वहीं एक कंपनी जायफर मिनिरल्स लिमिटेड ने कार्य शुरू नहीं किया। गत वित्तीय वर्ष में भी कार्य शुरू करने में कंपनी आनाकानी करती रही ।जिसे देखते हुए प्रबंधन द्वारा उक्त कंपनी को नियमित अंतराल में पत्राचार किया गया। जायफर कंपनी ने हर बार समयवृद्धि की मांग की ।और अंत में जून माह में कार्य को शुरू करने की बात कही गई। यहाँ बताना होगा कि इस कंपनी के कार्य शुरू न करने से कुसमुंडा क्षेत्र अपने कोल उत्पादन लक्ष्य में पिछड़ गया था। जहाँ गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में 47.3 मिलियन टन लक्ष्य की पूर्ति में 42.7 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया गया था। इसे देखते हुए प्रबंधन ने अंतिम बार अल्टीमेटम देते हुए कड़े पत्र जारी करते हुए 20 जून तक मोहलत दी थी। इस समयावधि में भी कंपनी ने काम करने रुचि नहीं दिखाई। जिसके बाद आखिरकार प्रबंधन ने उक्त कंपनी को निष्काषित करते हुए डिबार्ड कर दिया। और स्वंय उक्त स्थल पर कार्य करने कमर कस ली।