रबी फसलों के समर्थन मूल्य में अधिकतम बढ़ोतरी का दावा गोयबल्सी झूठ : किसान सभा

The claim of maximum increase in the support price of Rabi crops is a lie: Kisan Sabha

रबी फसलों के समर्थन मूल्य में अधिकतम बढ़ोतरी का दावा गोयबल्सी झूठ : किसान सभा ने कहा

VM News desk :-

अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 की रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में अधिकतम बढ़ोतरी के दावे को गोयबल्सी झूठ बताते हुए कहा है कि यह असल में पिछले 12 वर्षों में सबसे कम बढ़ोत्तरी है। गेहूं की कीमतों को 1975 रूपये प्रति क्विण्टल से 2015 रुपये करना मात्र 2.03 % प्रतिशत की वृध्दि है। बाकी फसलों की कीमतों में भी 2.14% से 8.60% की वृध्दि ही की गयी है। इससे साफ है कि एमएसपी की घोषणा करते समय मोदी सरकार ने सी-2 लागत के ड्यौढ़े दाम का स्वामीनाथन फॉर्मूला तो दूर रहा, इस बीच लागत की बढ़ती कीमतों को भी हिसाब में नहीं लिया है। वास्तविक अर्थों में तो पिछले वर्ष की तुलना में सभी उपजों के दाम घटे हैं, जबकि पिछले एक वर्ष में ही खेती-किसानी की लागत में 10000 रुपये प्रति एकड़ की वृद्धि हुई है।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि यदि सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य घोषित किया जाता, तो गेहूं के लिए यह 2196 रुपये, जौ के लिए 2106 रुपये, चना के लिए 6018 रुपये, मसूर के लिए 6306 रुपये तथा सूरजमुखी के लिए 7362 रुपये प्रति क्विंटल होता। ए-2 आधारित कीमतों के कारण किसानों को इन फसलों पर क्रमशः 180 रुपये, 471 रुपये, 788 रुपये, 806 रुपये तथा 1921 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ेगा। इसलिए घोषित समर्थन मूल्य पूरी तरह से किसान विरोधी है।

उन्होंने कहा कि चूंकि एमएसपी पर खरीदी की कोई गारंटी ही नहीं है, इसलिए किसानों का एक छोटा-सा हिस्सा ही अपनी फसल इस अलाभकारी एमएसपी पर बेच पायेगा। पिछले साल की सरकारी रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में इस अलाभकारी एमएसपी का लाभ पाने वालों की इस संख्या में और ज्यादा कमी आयी है। भारी-भरकम आयात और आयात शुल्क घटाए जाने के कारण दाल और तिलहन पैदा करने वाले किसानों की हालत और बुरी रही है। ठीक यही वजह है कि किसान सी-2 लागत का डेढ़ गुने के आधार पर एमएसपी तय करने और खरीदी का कानूनी प्रावधान करने की मांग कर रहे हैं।

किसान सभा नेताओं ने मांग की है कि सरकार इस घाटे वाली घोषणा को वापस ले तथा किसान आंदोलन की मांग के अनुसार सी-2 लागत का डेढ़ गुना फॉर्मूले के आधार पर नयी संशोधित दरों की घोषणा करे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ किसान सभा की सभी इकाइयां अभियान चलाकर भाजपा सरकार की इस धोखाधड़ी को बेनकाब करेगी तथा इस किसान विरोधी समर्थन मूल्य को 27 सितम्बर को आहूत ‘भारत बंद’ का एक प्रमुख मुद्दा बनाएगी।

 

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