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स्टाफ नर्सों का निजी अस्पताल कर रहे आर्थिक शोषण, आठ घंटे के बजाय अल्प वेतन में 12 घंटे करवा रहे ड्यूटी
रायपुर। शासकीय एवं अशासकीय चिकित्सा संस्थानों में पैरामेडिकल स्टाफ जिनमें स्टाफ नर्स जीएनएम एएनएम सहित अन्य कर्मी शामिल है। जिनका न्यूनतम वेतन आज की तिथि में बेहद कम है। बढ़ती महंगाई की मार के चलते जहां स्टाफ नर्सेंस एवं अन्य कर्मियों के आठ घंटे के बजाय 12 घंटे की ड्यूटी ली जा रही है वहीं वेतनमान अल्प होने के कारण कर्मचारियों पर गृह खर्च चलाना मुश्किल हो गया है उक्त जानकारी प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में छत्तीसगढ़ नर्सिंग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष योगेंद्र देवांगन ने दी। देवांगन ने पत्रकारवार्ता में बताया कि निजी अस्पतालों में कम वेतनमान पर स्टाफ नर्सेंस से आठ घंटे के बजाय 12 घंटे की ड्यूटी ली जा रही है उनका वेतन मजदूर से भी कम है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्राइवेट अस्पतालों को हाल ही में दिये गये आदेश के अनुसार 20 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देने का निर्देश दिया है। देवांगन ने पत्रकारवार्ता में बताया कि कोरोनाकाल में शासकीय अशासकीय क्षेत्र की स्टाफ नर्सों ने जी जान से ड्यूटी की है बावजूद इसके उन्हें राज्य शासन से किसी भी प्रकार की प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है। पत्रकारवार्ता में देवांगन ने सभी नर्सिंग कॉलेजों की फीस समान रूप से लागू करने की शासन से मांग की है। लेट फीस के नाम पर निजी नर्सिंग कालेजों द्वारा फाइन के नाम पर जमकर राशि वसूली जा रही है। आईएनसी नियमों के अनुसार नर्सिंग कॉलेजों में शिक्षकों की नियमित भर्ती नहीं हो रही है। जीएनएम बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों की भर्ती परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए। केंद्र सरकार के नियमानुसार 25 हजार सैलरी बेसिक 15 हजार एंसेंटिव के साथ दी जानी चाहिए। शासकीय नर्सें का ग्रेड पे 4600 रुपये प्रति माह हो। केंद्र सरकार की तरह सभी निजी एवं शासकीय चिकित्सा संस्थानों में नर्सिंग का कार्य करने वाले पुरुष एवं महिला को नर्सिंग आफिसर का पद नाम दिया जाए।
योगेंद्र देवांगन ने पत्रकारवार्ता में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा प्रदेश भर में नर्सों का जमकर आर्थिक शोषण किये जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से सभी निजी अस्पतालों के संचालकों की बैठक बुलाकर न्यूनतम वेतनमान देने के लिए आदेश जारी करने की मांग की है। आठ घंटे से अधिक की ड्यूटी स्टाफ नर्से से न ली जाए। साथ ही सरकारी अस्पतालों में रिक्त पदों पर दक्ष नर्सिंग स्टाफ की तत्काल भर्ती की जाए।