मध्यप्रदेश – सतना/ देश के 52 शक्तिपीठों में एक माॅं शारदा भवानी (मैहर)
माँ शारदा देवी, मैहर (सतना) मध्य प्रदेश
–मोर आदि भवानी तुही ला मंय सुमिरंव माँ
– देश के 52 शक्तिपीठों में एक जो माँ शारदा देवी को समर्पित
मनोज जायसवाल/वर्तमान मंथन –
VM News desk Satna:-
तंत्र चुड़ामड़ी में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है, तो देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का उल्लेख है। देश का मध्य भाग मध्यप्रदेश के सतना जिले में त्रिकुट पर्वत पर विराजी है, मां शारदा। इस मंदिर को मैहर माता का मंदिर कहा जाता है। कुल 1063 सीढ़ीयां चढ़ कर ऊंचे पहाड़ा वाली का दर्शन किया जा सकता है। लेकिन इतनी सीढ़ीया चढ़ने के बावजूद माता की भक्ति आस्था के चलते थकान का अनुभव नहीं होता। प्रतिदिन हजारों भक्त पूरे साल भर माता दर्शन के लिए चढ़ कर दर्शन करते हैं। शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि पर्व पर भींड़ काफी बढ़ जाती है। देवी माता शारदा भवानी के साथ यहां काल भैरवी ,हनुमान ,काली, दुर्गा, गौरीशंकर, शेष नाग, फुलमती माँ, ब्रम्हादेव तथा जलापा देवी भी पूजी जाती है। बताया जाता है कि तब के अतीत में पृथ्वीराज चौहान के साथ आल्हा उदल ने युद्व किया था। जो माता के भक्त थे। तब घने जंगलों के बीच शारदा देवी मंदिर की खोज की। उन्होंने 12 साल तक यहां घोर तपस्या कर देवी माँ को प्रसन्न किया जहां देवी मां शारदा ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया था। आल्हा, देवी मां को शारदा माई कहते पुकारते थे,यही कारण है कि आज भी लोग शारदा माई के नाम का उच्चारण करते हैं।
अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर के पीछे भी कई किवदंतियां है, एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव जब मां सती के मृत शरीर को ले जा रहे थे, तभी यहां पर हार गिरा था। इसलिए इस जगह का नाम मै यानि मां हर यानि हार मतलब माई का हार मैहर पड़ा। तो सती के उध्र्व ओंठ भी गिरने की बात कही जाती है। मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानियां हम यहां प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। आल्हा तालाब के पीछे स्थित पहाड़ी क्षेत्र में आल्हा उदल जहां कुश्ती किया करते थे वो अखाड़ा आज भी तब के स्वर्णिम काल का अतीत स्वयं बयां कर रहे हैं। मैहर शहर से मध्य से त्रिकुट पर्वत की ऊंचाई तकरीबन पांच किमी मानी जाती है, पर मैहर शहर का आज इतना पसराव हुआ है कि कि यह दूरी भी पता नहीं चलता। आज मैहर चहूंओर यातायात के साधनों से जुड़ा है। मैहर रेलवे स्टेशन से पहाड़ी चोटी मंदिर की दूरी 6 किमी पर स्थित है। जहां रोपवे जैसी आधुनिक सेवाएं जुड़ी हुई है। यह मैहर रेलवे स्टेशन कटनी तथा सतना के बीच स्थित है,जहां से 162 किमी दूर पर जबलपूर शहर है। यहां से फलाईट सेवा उपलब्ध है। मैहर की धरती न सिर्फ धर्म आध्यात्म अपितु कला जगत की संस्कृति संगीत से सराबोर रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 सड़क मार्ग से यह जुड़ा हैयदि आप शारदा मइया के दर्शन के लिए मैहर आ रहे हैं तो इसके साथ इस पहाड़ी में शांति सुकून के क्षण बिताने के अतिरिक्त पर्यटन के लिहाज से भी आसपास कई दर्शनीय स्थान है,जिसका आनंद आप सपरिवार ले सकते हैं। मैहर शहर में ही खाने पीने तथा रूकने के लिए पयार्प्त जगहें हैं। यहां रूक कर आसपास के पर्यटन जगहों का सैर कर सकते हैं। हमारा किसी भी कथा कहानी के पीछे अंधविश्वास फैलाना,काल्पनिक बातें बताना ऐसा कोई उद्वेश्य नहीं है,अपितु जो बातें हमें मुखातिब होने पर बताया जा रहा है वही लिख रहे हैं। वर्तमान कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है,इस मुताबिक शासन की गाईड लाईन का पालन करते हुए ही आप यदि मंदिरों का पट खुला हो तो सामाजिक दूरी बना कर दर्शन करें।अभी के हालात में पता कर ही कहीं जाने का विचार करें। क्योंकि कई तकनीकी जानकारी दे पाने हम स्वयं भी सक्षम नहीं है।