कोरबा। छत्तीसगढ़ जैव विविधता वाला लगभग 55 फीसदी वन क्षेत्र से आच्छादित राज्य है। नदी-नाले भी बड़ी संख्या में हैं। इधर, राज्य के कोरबा जिले से होकर गुजरने वाली हसदेव नदी में यूरेशियन ओटर (ऊदबिलाव) मिला है। दरअसल मछली पकडऩे के जाल लगाया गया था जिसमें यूरेशियन ओटर (ऊदबिलाव) फंस गया। जाल से निकालने के बाद इसे वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है।
जलीव जीवन शैली वाला यह प्राणी यूरेशियन ओटर (ऊदबिलाव) भारत के उत्तरी ठंडे पहाड़ी इलाके और दक्षिण के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है। मध्य भारत में दूसरी बार कोरबा में इसे पाया गया है। इसके पहले जून 2016 में मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एरिया में यह मिला था। यूरेशियन ओटर झील, नदियों जैस स्थानों पर रहता है। गर्मियो में ये हिमालय में 3669 मीटर तक चढ़ जाते हैं। लड़ाई के दौरान ये बिल्ली की तरह आवाज निकालते हैं। गौरतलह है कि कोरबा जिला भी जैव विविधताओं से भरा पड़ा है। यहां भी कई तरह के तरह के वन्य प्राणी और जीव जंतु पाए जाते हैं। यूरेशियन ओटर के मिलने के बाद इसकी संभावना है कि ये हसदेव नदी क्षेत्र में और भी होंगे।
-
यहां पाए जाते हैं यूरेशियन ओटर
इसका वैज्ञानिक नाम लुट्रा लुट्रा है। ये मुख्य रूप से यूरेशिया में (पश्चिम में आयरलैंड से लेकर पूर्वी रूस एवं चीन तक) पाए जाते हैं। इसके अलावा ये उत्तरी अफ्रीका (मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया) और मध्य पूर्व (इजऱाइल, जॉर्डन, इराक और ईरान) में भी पाए जाते हैं। इसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट में निकट संकट श्रेणी में रखा गया है और इसे सीआईटीईएस की परिशिष्ट। में जबकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची ।। में रखा गया है।