नई दिल्ली: मानव तस्करी (Human Trafficking) के आरोप में गिरफ्तारी के बाद मेघालय की एक महिला 2 साल तक जेल में बंद रहीं. इस दौरान उन्होंने जेल में बच्चे को जन्म दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महिला को अब इस आधार पर जमानत दे दी है कि उनके खिलाफ कोई मुकदमा शुरू नहीं हो सका और इसलिए उन्हें लंबे समय तक कारावास में नहीं रखा जा सकता है. चीफ जस्टिस एनवी रमना (N V Ramana), जस्टिस सूर्यकांत और हीमा कोहली की बेंच ने 21 वर्षीय महिला द्रभामोन पहवा को जमानत दे दी, जिन पर मानव तस्करी का आरोप था.
मेघालय की रहने वाली द्रभामोन पहवा मानव तस्करी के आरोप में फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं. जिस समय इस महिला की गिरफ्तार हुई थी उस वक्त वह गर्भवती थीं. इसके बाद कारावास में ही उन्होंने बच्चे को जन्म दिया. 2 साल तक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई.
इस केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, पक्षकारों के वकील की दलीलों को सुनने के बाद यह पता चला कि याचिकाकर्ता को 18 महीने तक कारावास में रहना पड़ा और इस दौरान उन्होंने बच्चे को जन्म भी दिया इसलिए हम उन्हें जमानत देने के लिए यह एक उपयुक्त आधार मानते हैं.
नौकरी के बहाने महिला को देह व्यापार में धकेला
महिला की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट सलमान खुर्शीद और टीके नायक ने पक्ष रखा और कहा कि इस महिला को खुद दिल्ली में सम्मानजनक नौकरी दिलाने के बहाने से लाया गया था और जोर-जबरदस्ती से देह व्यापार में धकेल दिया गया. महिला खुद वेश्यावृति गिरोह का शिकार हुई है.
उच्चतम न्यायालय को यह भी बताया गया कि 18 महीने के कारावास के दौरान इस महिला ने जेल में बच्चे को जन्म दिया और वह बच्चा भी अपनी मां के साथ जेल में है. इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने महिला के खिलाफ कथित अपराधों की गंभीरता के आधार पर उसकी याचिका का विरोध किया था.