कोरबा : हसदेव बचाव पदयात्रा को किसान सभा ने दिया समर्थन

Korba: Kisan Sabha gave support to Hasdev rescue padyatra

हसदेव बचाने पदयात्रा को किसान सभा ने दिया समर्थन

VM News desk Korba :-

अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने हसदेव नदी, जंगल व पर्यावरण को बचाने तथा उस क्षेत्र के रहवासियों की आजीविका, संस्कृति और अस्तित्व को बचाने के लिए के लिए हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित पदयात्रा को समर्थन देने की घोषणा की है। किसान सभा कोरबा जिले से गुजरने वाले मार्ग पर पदयात्रा में भी शामिल होगी।

यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, सचिव प्रशांत झा तथा सह सचिव दीपक साहू ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी। वर्तमान मंथन की टीम से उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए जिस प्रकार पेसा और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन कर कोयला खनन की इजाजत दी जा रही है, उससे न केवल जैव विविधता खत्म हो जाएगी, बल्कि आदिवासियों और कमजोर तबके के लोगों को बड़े पैमाने पर विस्थापित भी होना पड़ेगा। किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया कि ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्तावों के आधार पर कोयला खनन की अनुमति दी जा रही है, जबकि इस क्षेत्र के लोगों के विरोध आंदोलन ने या साबित कर दिया है कि ग्राम सभाओं की खनन पर कोई सहमति नहीं है और न ही यहां वनाधिकारों की स्थापना की अनिवार्य शर्त को पूरा करने का ही पालन किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि हसदेव उत्तरी कोरबा, दक्षिणी सरगुजा व सूरजपुर जिले में स्थित एक विशाल व समृद्ध वन क्षेत्र है, जो जैव विविधता से परिपूर्ण हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध का केचमेंट है और जो जांजगीर-चाम्पा, कोरबा व बिलासपुर जिलों के नागरिकों और खेतों की प्यास बुझाता है। यह हाथी जैसे महत्वपूर्ण वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवाजाही के रास्ते का वन क्षेत्र भी है। सम्पूर्ण क्षेत्र पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र है, इसके बावजूद केंद्र व राज्य सरकार आदिवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की बजाए उन्हें खनन कंपनियों के साथ मिलकर जंगलों और जमीनों से उजाड़ने का कार्य कर रही है।

पदयात्रा के संबंध में फतेहपुर में हुई बैठक हुई बैठक में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन तथा छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रतिनिधियों के साथ खनन प्रभावित गांव के किसान भी उपस्थित थे। यह पदयात्रा 4 अक्टूबर से शुरू होगी और 13 अक्टूबर को रायपुर पहुंचकर राज्य और केंद्र सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेगी।

 

 

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