जयंती विशेष : पं. माधवराव सप्रे एक विराट व्यक्त्वि

सृजनात्मक कृतियों के रचयिता एवं कर्मठ पत्रकार पत्रकारिता के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अंचल को अपनी महान रचना छत्तीसगढ़ मित्र देकर राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय सहयोग के लिये प्रेरित करने वाले पं. माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 में पथरिया, दमोह, मध्य प्रदेश में हुआ था। मिडिल स्कूल तक की शिक्षा बिलासपुर में ली। 1887 में मिडिल की परीक्षा पास करने के पश्चात हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए आप रायपुर आ गए। हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई जबलपुर में हुई। 1889 में आपका का विवाह हुआ। पत्रकारिता क्षेत्र में आपके अमूल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता आपका 23 अप्रैल 1926 को आपका निधन हो गया।
माधवराव सप्रे ‘एक टोकरी-भर मिट्टी’ के रचनाकार हैं। इस रचना को हिन्दी की पहली लघुकथा का श्रेय प्राप्त है। वैसे इस रचना को कमलेश्वर ने हिन्दी की ‘पहली कहानी’ के रूप में मान्यता दी थी लेकिन वर्तमान में इसे पहली कहानी न मानकर ‘पहली लघुकथा’ माना जाता है। सन् 1900 में सप्रे जी की प्रेरणा से ही आनंद समाज पुस्तकालय तथा वाचनालय की स्थापना रायपुर में हुई जो छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय तथा साहित्यिक हलचलों का केन्द्र था । सन् 1921 में रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की योजना बनायी तथा उसे क्रियान्वित किया । 1924 में वे अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के देहरादून अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये. सृजनात्मक कृतियों के रचयिता एवं कर्मठ पत्रकार का निधन 23 अप्रेल 1926 को हो गया ।
शिक्षा:- माधवराव सप्रे ने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा बिलासपुर में ली। 1887 में मिडिल की परीक्षा पास करने के पश्चात हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए आप रायपुर आ गए। हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई जबलपुर में हुई। 1889 में आपका का विवाह हुआ। 1898 में आपने बी.ए की। 1899 में आप अध्यापन करने लगे लेकिन मन पत्रकारिता में था।
पत्रकारिता:- पत्रकारिता के माध्यम से प्रदेश के इस अंचल में सामाजिक एवं राष्ट्रीय जनजागरण का शंखनाद किया । अपना सब कुछ न्यौछावर कर इस प्रान्त की राजनीतिक एवं साहित्यिक जागृति में जिन विभूतियों ने अतुलनीय योगदान किया उनमें सप्रेजी का स्थान सबसे ऊपर है । 1900 में ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ मासिक आरंभ किया। माधवराव सप्रे ने अपने मित्रों के साथ ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का प्रकाशन छत्तीसगढ़ क्षेत्र में हिंदी एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए ही किया था। ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ लगभग तीन वर्षों तक चला और अंतत: आर्थिक कठिनाइयों के कारण इसे बंद करना पड़ा।
मुख्य कृतियाँ :- स्वदेशी आंदोलन और बॉयकाट, यूरोप के इतिहास से सीखने योग्य बातें, हमारे सामाजिक ह्रास के कुछ कारणों का विचार, माधवराव सप्रे की कहानियाँ (संपादन : देवी प्रसाद वर्मा)
पात्रिका सम्पादन :- अनुवाद:- हिंदी दासबोध (समर्थ रामदास की मराठी में लिखी गई प्रसिद्ध), गीता रहस्य (बाल गंगाधर तिलक), महाभारत मीमांसा (महाभारत के उपसंहार : चिंतामणी विनायक वैद्य द्वारा मराठी में लिखी गई प्रसिद्ध पुस्तक)
संपादन:- हिंदी केसरी (साप्ताहिक समाचार पत्र), छत्तीसगढ़ मित्र (मासिक पत्रिका, कर्मवीर पत्रिका, चित्रमय जगत, तिलक के महान ग्रंथ गीता रहस्य हिन्दी में सर्वाधिक प्रमाणिक अनुवाद, शारदा पुस्तक माला।

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