कमीशन के फेर में जल जीवन मिशन खटाई में जाती दिख रही है- केदार कश्यप

  •  राज्य सरकार की नाकामियों के कारण कहीं बस्तर-सरगुजा की जनता के लिए सपना बनकर न रह जाए
    केंद्र सरकार से राशि स्वीकृत होने के बाद भी जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में पिछडऩे का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोडऩे का पैंतरा आजमा रहे हैं मुख्यमंत्री

जगदलपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि जल जीवन मिशन के काम में केंद्र सरकार द्वारा राशि स्वीकृत होने के बाद भी शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं की आपसी खींचतान के चलते यह महती योजना खटाई में जाती दिख रही है। श्री कश्यप ने कहा कि कमीशन के मोह के और प्रदेश सरकार की नाकामी के चलते महती जन कल्याणकारी योजना अब ठप पड़ी है। और प्रदेश सरकार ने इस योजना के क्रियान्वयन में लेटलतीफी के लिए न तो किसी अधिकारी-मंत्री की जिम्मेदारी तय की और न ही संबंधित दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की है। केंद्र सरकार की महती योजना राज्य सरकार की नाकामियों के कारण कहीं बस्तर-सरगुजा की जनता के लिए सिर्फ सपना बनकर न रह जाए।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि आजादी के छह दशक बाद भी देश के बहुसंख्यक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूर्ति एक समस्या बनी हुई है। इसे दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महती योजना जल जीवन मिशन चालू की जिसका उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक घरों में नल के माध्यम से साफ जल पहुंचाना है। इस योजना में छत्तीसगढ़ को भी शामिल करते हुए सात हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं। इस योजना के तहत 45 प्रतिशत राशि राशि केंद्र, 45 प्रतिशत राशि राज्य और 10 प्रतिशत राशि स्थानीय निकाय खर्च करेंगे। योजना के क्रियान्वयन के एक वर्ष के अंदर स्थानीय निकाय की 10 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार उन्हें प्रतिपूर्ति के रूप में वापस प्रदान करेगी। श्री कश्यप ने बताया कि इस योजना में छत्तीसगढ़ के 38 लाख परिवारों को स्वच्छ जल आपूर्ति होनी है। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए राज्य सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए। लेकिन कार्य प्रारंभ होने से पहले ही सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं की आपसी खींचतान में यह योजना खटाई में जाती दिख रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री कश्यप ने कहा सरकार की इस खींचतान का सबसे बड़ा नुकसान छत्तीसगढ़ की जनता का होगा, क्योंकि प्रक्रिया देर होने से नए टेंडर के लिए सभी प्रक्रिया फिर से दुहरानी होगी। इससे एक तो इसकी लागत बढ़ जाएगी और संभवत: केंद्र की राशि के लैप्स होने का खतरा भी बढ़ जाएगा। अब एक बार फिर इस मिशन में अपने पिछडऩे का ठीकरा केंद्र पर फोडऩे की कोशिश के तहत मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्र से जल जीवन मिशन में केन्द्रांश 50 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का आग्रह किया है। वास्तव में लक्ष्य से लगभग दो साल पीछे चल रही राज्य सरकार की अपनी गलती से जल जीवन मिशन का जो बजट बढ़ गया है, मुख्यमंत्री बघेल वह राशि केंद्र सरकार से लेने का पैंतरा अपना रहे हैं।

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