अवैध एचटीबीटी कॉटन की खेती में वृद्धि के विनाशकारी परिणाम : एफएसआईआई

नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) एवं नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएसएआई) इस साल अवैध एचटीबीटी कॉटन की खेती में हुई अचानक वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा है कि किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त बीज गुणवत्तायुक्त उत्पाद व बेहतर पैदावार की ओर पहला कदम है।
इन संगठनों ने कहा कि शोध एवं विकास सुनिश्चित करते हैं कि किसानों की चुनौतियों का समाधान हो और उन्हें कीटों तथा बीमारियों से लडऩे के लिए बेहतर किस्में मिलें। हालांकि, असामाजिक तत्वों द्वारा अनैतिक गतिविधियां किसानों एवं सालों के निवेश व शोध एवं विकास द्वारा निर्मित ब्रांड्स का भरोसा तोड़ती हैं। यह कई सालों से कम तीव्रता पर मुख्य कपास उत्पादक राज्यों में उगाया जा रहा है, लेकिन इस साल इसकी बिक्री तेजी से बढ़ी है, जिससे पर्यावरण, किसानों, वैध बीज कंपनियों और सरकारी राजस्व को गंभीर खतरा हो गया है।
संगठनों ने कहा कि 2017 के दौरान, लोकसभा में यह मुद्दा उठाया गया कि अनेक राज्यों में किसान अवैध रूप से गैर-अनुमोदित हर्बिसाईड टॉलरेंस (एचटी) ट्रांसजेनिक कॉटन हाईब्रिड उगा रहे हैं। उसके बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बायोटेक्नॉलॉजी विभाग (डीबीटी) के तहत फील्ड इंस्पेक्शन एवं साईंटिफिक इवैल्युएशन कमिटी (एफआईएसईसी) की स्थापना की गई और इस समिति ने इस बात की पुष्टि की कि देश में एचटी जेनेटिकली मोडिफाईड कॉटन की गैरकानूनी खेती हो रही है। एफआईएसईसी पैनल ने हजारों नमूनों की जाँच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि गैर-अनुमोदित एचटी कॉटन के 15 प्रतिशत मामले बड़े राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात में हैं।
एफएसआईआई के अध्यक्ष डॉ. एम रामासामी ने कहा, ”गैरकानूनी एचटी कॉटन की खेती का क्षेत्र पिछले सालों में बढ़ता चला आ रहा है। हालांकि, इस साल खासकर कॉटन उगाने वाले बड़े राज्यों में गैरकानूनी खेती में बढ़ा उछाल आया है और पिछले साल अनुमानित 35 लाख पैकेटों के मुकाबले इस साल 70 लाख पैकेटों को उगाया गया। इन पैकेटों में अनेक टेक्नॉलॉजीज़ की मौजूदगी दिखती है, जिससे खेत में काफी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यदि इसे सरकार द्वारा तत्काल नियंत्रित न किया गया, तो उद्योग व किसानों के लिए इसके परिणाम विनाशकारी होंगे।”
एनएसएआई के अध्यक्ष ने कहा, ”इससे न केवल कॉटन बीज कंपनियों को नुकसान होगा, बल्कि भारत में संपूर्ण वैध कॉटन बीज बाजार को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। स्थिति और ज्यादा गंभीर इसलिए है क्योंकि गैरकानूनी बीज प्रतिष्ठित कंपनियों के ब्रांड नाम के तहत बेचे जाते हैं। इसलिए इन अवैध कॉटन बीज की बिक्री से किसानों को भी जोखिम रहता है क्योंकि इन बीजों की गुणवत्ता की कोई जवाबदेही नहीं होती। इनसे पर्यावरण प्रदूषित होता है, उद्योग को वैध बीज की बिक्री न होने का नुकसान होता है और सरकार को टैक्स संग्रह के रूप में राजस्व का नुकसान होता है। रैगुलेटर्स द्वारा जाँच केवल लाईसेंसधारक डीलर्स एवं बीज कंपनियों तक सीमित है, जबकि एचटी बीज की बिक्री की यह गैरकानूनी गतिविधि अधिकांशत: असंगठित एवं रातोंरात गायब हो जाने वाले ऑपरेटर्स द्वारा की जाती है। इसलिए उन्हें पकड़कर उनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही किए जाने की जरूरत है।”
इन संगठनों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कृषि मंत्रालय और जीईएसी को पत्र लिखकर अधिकारियों को उचित निर्देश देने का आग्रह किया है, ताकि वे ऐसी अवैध गतिविधियों को बढऩे से रोकने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें और अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें।

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