बिलासपुर : अरपा नदी के किनारे मिले  15 हजार साल पुराने प्राचीन पाषाण कालीन औजार

15 हजार साल पहले अरपा नदी के किनारे पाषाण काल दौरान मानव संस्कृति बसा करती थी। तब इसका इस्तेमाल मनुष्य खुदाई, छिलाई, कटाई सहित अन्य काम में किया करते

बिलासपुर : अरपा नदी के किनारे मिले  15 हजार साल पुराने प्राचीन पाषाण कालीन औजार

वर्तमान मंथन/बिलासपुर : शहर में अरपा नदी के किनारे पाषाण काल में मानव संस्कृति के जीवित रहने के कुछ साक्ष्य मिले हैं। इनमें पत्थरों के औजार और कुछ अन्य चीजें शामिल हैं। इन्होंने 30 से अधिक अलग-अलग पत्थर और इनके औजार को संग्रहित किया है। उनका दावा है कि 15 हजार साल पहले अरपा नदी के किनारे पाषाण काल दौरान मानव संस्कृति बसा करती थी। तब इसका इस्तेमाल मनुष्य खुदाई, छिलाई, कटाई सहित अन्य काम में किया करते। इसे बरसों से इकट्ठा करने का काम मानव विज्ञान विषय की पढ़ाई कराने वाले डॉ. विनय तिवारी करते आ रहे हैं।

उनके मुताबिक यह आम पत्थर नहीं है। यह पूछने पर कि आखिर वे किस आधार पर यह दावा कर रहे? कहते हैं इसके तीन बड़े कारण हैं। पहला पानी। अरपा नदी का इतिहास समृद्ध रहा है। काफी साल पहले जब यह इलाका जंगल था तब निश्चित रूप से नदी कल-कल बहा करती और इसके पानी का उपयोग यहां रहने वाले जंगली जानवर के अलावा पाषाण काल के मनुष्य किया करते। मानव संस्कृति के बसने की दूसरी वजह खाने-पीने के सामान की उपलब्धता बताई गई।

उन्होंने कहा कि नदी के मछली, जंगल में कंद मूल सहित अन्य चीजें बड़ी आसानी से उपलब्ध थी। जिसके चलते ही यहां इंसानों के बसने की बात है। तीसरा कारण है उपकरण एवं रॉ मटेरियल का उपलब्ध होना। इसी आधार पर वे शिकार और दूसरी चीजें करते आए हैं।

तभी से यहां ही मानव जाति रहा बसा करती थी। इसलिए ही उन्होंने कहा है कि इन पत्थरों का उपयोग खुदाई, छिलाई, शिकार सहित अन्य चीजों के लिए किया गया होगा। उन्होंने बताया कि यह पत्थर उन्हें अरपा नदी के किनारे, स्मृति वन और अन्य जगहों पर मिले हैं। इसके इसका अध्ययन करने के बाद ही उन्हें यह समझ आया है कि किसी जमाने में क्षेत्र में भी मानव संस्कृतियां जिंदा थीं और तब भी लोग बसा करते थे।

 

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