-
मुख्य भूमिका कर रहे लालजी कोर्राम से एक साक्षात्कार
लोक कथाओं में अगर प्रेमी-प्रेमिकाओं का वर्णन न हो तो वह कथा नीरस मानी जाती है। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में जहां लोरिक-चंदा की कथा प्रचलित है उसी तरह बस्तर में झिटकू-मिटकी की प्रेम कथा वर्षों से ग्रामीण परवेश में रची-बसी है। पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी कथा बस्तर की वादियों में गूंज रही है।बस्तर की इस अमर प्रेमकथा पर आधारित एक और छत्तीसगढ़ी फिल्म झुटकु मिटकी बहुत जल्द ही दर्शकों के समक्ष होगा। इस फिल्म में लीड रोल निभा रहे लालजी कोर्राम से फिल्म के संबंध में कुछ खास बातचीत जिसके कुछ अंश इस प्रकार से हैं।
सवाल – लालजी आपको फिल्म बनाने का ख्याल कैसे आया?
जवाब – देखिए ये 2018 की बात है जब मैं अपने मामा हुकुम मरकाम के साथ कोंडागांव कलेक्ट्रेट जा रहा था। तभी रास्ते पर एक शार्ट फिल्म का पोस्टर देखा तो मैंने अपने मामा से कहा- क्यों ना हम भी फिल्म बनाएं। उसी दिन से मेरे मन में फिल्म बनाने की रुचि हुई।
सवाल – आप नाटकों में भी अभिनय किया है या कोई थिएटर ग्रुप से जुड़े हैं?
जवाब – नहीं, मैंने थिएटर में तो काम नहीं किया है, लेकिन मेरी एक टीम है लोक कला मंच चिरईया, जिसमें 2016 से नाटक अभिनय करते आ रहा हूं। यह मेरी संस्था है और मेरी टीम में 35 लोगों हैं। सभी के योगदान से टीम अच्छी से चल रही है।
सवाल – झिटकु मिटकि से पहले आपने कोई एलबम या गीत किया है क्या?
जवाब – जी हां, मेरी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म मितवा कहवं या दगाबाज है। इसके अलावा इक शार्ट फिल्म भी बनाया हूं माया के चिरईया और कुछ एलबम भी मैंने किए हैं।
सवाल – अपनी पहली फिल्म मितवा कहवं या दगाबाज के बारे में कुछ कहना चाहेंगे?
जवाब – मेरी पहली फिल्म मितवा कहवं या दगाबाज में लीड रोल करने का मौका मिला। जिसमें मेरे डायरेक्टर राजा खान जी रहे। इस फिल्म से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिली। क्योंकि काम करते समय मुझे डर सा लगता था क्योंकि मेरा पहला फिल्म था मैं लीड रोल तो कर रहा था लेकिन सबसे ज्यादा कट मैं ही ले रहा था लेकिन डायरेक्टर के अनुभव के कारण मेरे सीन आसान हो जाते थे। मुझे नहीं लग रहा था कि मैं इस फिल्म में काम कर पाऊंगा लेकिन डायरेक्टर सर कुछ कुछ उदाहरण देकर समझाते थे तो मैं फिर काम करने के लिए तैयार हो जाता था। मेरे हौसला बहुत बढ़ाते थे और मेरे कुछ लोक कला मंच के भी कलाकार थे तो मुझे उनसे बात करके काम करते समय अच्छा लगता था मेरे पास अनुभव कुछ भी नहीं था लेकिन काम करते-करते बहुत सारी बात मन में आती थी क्योंकि मैं 2015 में मोना सेन के साथ उनके टीम में भी काम किया हूं।
सवाल – आपकी जल्द रिलीज होने वाली फिल्में ?
जवाब – देखिए, अभी मेरी फिल्म झुटकु मिटकि जल्द ही दर्शकों के सामने होगी। अभी मेरा सारा फोकस सिर्फ इसी फिल्म पर है?
सवाल – बस्तर क्षेत्र में होने का कारण आपको छत्तीसगढ़ी बोलने में कभी कोई दिक्कत महसूस हुई।
जवाब- जी हां, बस्तर के होने के कारण कुछ कुछ शब्द को जल्द पकड़ नहीं पाता था। कभी-कभी सीन के डायलॉग बोलता था और डायरेक्टर समझ नहीं पाते थे। वे कहते थे-ऐसे तो मैं लिखा ही नहीं हूं। फिर मुझे डायलॉग को सुधार कर फिर बोलना पड़ता था। इस दौरान कुछ कुछ शब्द को बोलने के लिए मुझे काफी दिक्कतें होती थी।
सवाल – छत्तीसगढ़ी फिल्मों में आपको किसके साथ काम करने की तमन्ना है?
जवाब – ऐसा तो मैंने अभी तो कुछ सोचा नहीं है। लेकिन बीए फस्र्ट ईयर फिल्म देखने के बाद मेरे मन में मैडम मुस्कान साहू के साथ काम करने की बहुत तमन्ना है।
सवाल – बस्तर के काफी प्रसिद्ध अमर प्रेम कथा के झुटकु मिटकि में अपने किरदार के बार में विस्तार से बताइए?
जवाब – देखिए, हमारे बस्तर में झुटकु मिटकि की प्रेमकथा के बारे में हम बचपन से ही सुनते आए हैं। इसलिए इस फिल्म में मुख्य भूमिका करके मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा है। मुझे जब डायरेक्टर साहब ने कहा कि फिल्म झुटकु मिटकि में काम करोगे तो मैंने तुरंत हां कर दिया। मैं इस फिल्म में काम करके अपने आपको काफी नसीब वाला मानता हूं। मैं इस फिल्म की तैयारी में पिछले 6-7 महीने से लगा हूं।