नई दिल्ली । पंजाब के चुनावी घमासान में भाजपा की दिक्कतें बढ़ रही हैं। अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन इसमें उसे ज्यादा लाभ होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में पार्टी नए सहयोगियों की तलाश कर रही है, लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है। पंजाब में भाजपा लंबे अरसे से अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है, जिसके चलते वह एक क्षेत्र विशेष से आगे ज्यादा अपने पैर नहीं पसार पाई है। अब जबकि उसे अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरना पड़ रहा है,
तब राज्य के राजनीतिक हालात काफी अलग हो चुके हैं। चुनावी घमासान में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का अकाली दल के साथ त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह नई पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो संघर्ष और ज्यादा घमासान होगा। ऐसे में भाजपा को राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार भाजपा की पूरी कोशिश है कि राज्य में कांग्रेस से अलग हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चुनावी गठबंधन हो जाए। इससे भाजपा को राज्य में राष्ट्रवादी मुद्दे पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।
क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा और अमरिंदर के विचार अभी अलग-अलग हैं, लेकिन चुनाव के पहले केंद्र सरकार किसान आंदोलन के मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है, जिससे अमरिंदर सिंह को अपना रुख बदलने का मौका मिल सकता है।सूत्रों के अनुसार भाजपा की पूरी कोशिश है कि राज्य में कांग्रेस से अलग हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चुनावी गठबंधन हो जाए।
इससे भाजपा को राज्य में राष्ट्रवादी मुद्दे पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा और अमरिंदर के विचार अभी अलग-अलग हैं, लेकिन चुनाव के पहले केंद्र सरकार किसान आंदोलन के मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है, जिससे अमरिंदर सिंह को अपना रुख बदलने का मौका मिल सकता है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की पूरी कोशिश है कि राज्य में कांग्रेस से अलग हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चुनावी गठबंधन हो जाए। इससे भाजपा को राज्य में राष्ट्रवादी मुद्दे पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा और अमरिंदर के विचार अभी अलग-अलग हैं, लेकिन चुनाव के पहले केंद्र सरकार किसान आंदोलन के मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है, जिससे अमरिंदर सिंह को अपना रुख बदलने का मौका मिल सकता है।