अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अपने मून मिशन के लिए जिन 10 ट्रेनी एस्ट्रोनॉट को चुना है, उनमें भारतीय मूल के अनिल मेनन भी हैं. इस मिशन में 6 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं. यह मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक चांद पर कोई भी भारतीय अंतरिक्ष यात्री नहीं गया है. अगर अनिल मेनन इस मिशन का हिस्सा बने रहते हैं तो चांद पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे.
कौन हैं अनिल मेनन?
अनिल के माता-पिता भारत और यूक्रेन से थे. इनकी परवरिश और पढ़ाई अमेरिका के मिनेसोटा से हुई थी. अनिल ने 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन और 2004 में कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से उन्हें डॉक्टर की डिग्री भी मिली. अनिल भारत पोलियो अभियान की स्टडी के लिए आए थे और यहां करीब एक साल तक रहे थे.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर NASA के कई अभियानों के लिए बतौर क्रू फ्लाइट सर्जन का काम कर चुके अनिल मेनन अमेरिकी एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं.
12 हजार में से 10 का हुआ चयन
नासा के इस मून मिशन के लिए करीब 12 हजार आवेदन मिले थे, जिसमें केवल 10 को चुना गया है. मून मिशन के लिए चुने गए सभी 10 लोगों को अगले साल जनवरी में टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर पर 2 साल की ट्रेनिंग से गुजरना होगा. ट्रेनिंग के बाद 10 लोग आर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगे. इस प्रोग्राम के जरिए ही इन्हें चांद पर भेजा जाएगा.
अनिल 2014 में नासा के फ्लाइट सर्जन रह चुके हैं और 2018 में एलन मस्क की स्पेसएक्स जॉइन की. इन्होंने स्पेसएक्स की पहली ह्यूमन फ्लाइट के मेडिकल प्रोग्राम में मदद की। इसके अलावा स्टारशिप के निर्माण, एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम, लॉन्च प्रोग्राम्स के लिए काम किया। इनके चुने जाने के पीछे इनका यह अनुभव भी हो सकता है.
अनिल के अलावा चुने गए अन्य 9 ट्रेनी एस्ट्रोनॉट में US एयरफोर्स के मेजर निकोल एयर्स और मेजर मार्कोस बेरियोसो, US मरीन कॉर्प्स मेजर (रिटायर्ड) ल्यूक डेलाने, US नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर जेसिका विटनर और लेफ्टिनेंट डेनिज बर्नहैम, US नेवी कमांडर जैक हैथवे, क्रिस्टोफर विलियम्स, क्रिस्टीना बिर्चो और आंद्रे डगलस शामिल हैं।
कितने भारतीय अंतरिक्ष तक पहुंचे?
अब तक भारत से 4 लोग अंतरिक्ष में जा चुके हैं. इनमें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा, भारतीय मूल की कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और राजा चारी शामिल हैं. हालांकि, अब तक कोई भी भारतीय चांद तक तक नहीं पहुंच पाया है.उम्मीद जताई जा रही है कि अगर अनिल मेनन नासा के इस मिशन का हिस्सा बने रहते हैं तो चंद्रमा पर जाने वाले पहले भारतीय मूल के शख्स होंगे.