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दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने तैयारियां तेज कर रखी है
नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर कबतक आयेगी ? विशेषज्ञों ने इस सवाल का जवाब तलाश लिया है. कोरोना की दूसरी लहर अब धीरे – धीरे खत्म हो रही है साथ ही तीसरी लहर का खतरा भी बढ़ रहा है. देश में अक्टूबर महीने तक तीसरी लहर दस्तक दे सकती है हालांकि कोरोना की तीसरी लहर कब आयेगी इसे लेकर एक्सपर्ट्स के राय बटे हुए हैं इनमें से ज्यादातर लोग अक्टूबर में तीसरी लहर का खतरा बताते हैं जबकि तीन ने अगस्त की शुरुआत और सितंबर में और बाकियों ने नवंबर से फरवरी के बीच तीसरी लहर के आने का अनुमान लगाया है.
एम्स प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने अगले छह से आठ सप्ताह में भारत में तीसरी कोविड लहर की संभावना जाहिर की है. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में यह कहा है और संभावना भी जाहिर की है कि इसमें और ज्यादा वक्त भी लग सकता है.
क्या तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा इस सवाल पर सर्वे में ज्यादातर एक्सपर्ट्स हां में जवाब देते हैं, 18 साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ेगा हालांकि एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा है कि देश पहले से ज्यादा इस संक्रमण से निपटने को तैयार है.
कोरोना की दूसरी लहर देश में सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई. तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया गया है अगर संक्रमण की यह लहर देश में आयी तो खतरनाक साबति हो सकती है.
यह संभावना इसलिए जाहिर की जा रही है क्योंकि दूसरी लहर में संक्रमण ने पहली लहर की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंचाया . कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने तैयारियां तेज कर रखी है. अस्पताल में बिस्तर, ऑक्सीजन और डॉक्टर्स की कमी को दूर करने पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है.
रॉयटर्स ने इस संबंध में एक पोल किया जिसमें मेडिकल एक्सपर्ट्स ने यह आशंका जाहिर की है कि अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी वेब देश में आ सकती है. देश में यह महामारी अब एक और साल तक रहेगी ऐसी संभावना जाहिर की गयी है हालांकि तैयारियों को मद्देनजर उन्होंने भरोसा जताया है कि इस बार संक्रमण को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा.
इस लहर को लेकर एक्सपर्ट्स इसलिए भी ज्यादा चिंतित नहीं है कि क्योंकि देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार भी तेज है. देश में 26 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं. स्नैप सर्वे में दुनियाभर के 40 एक्सपर्ट्स जिनमें डॉक्टर, वैज्ञानिक और रिसर्च करने वाले शामिल थे उन्होंने उम्मीद जतायी है कि वैक्सीनेशन का होना महामारी के खतरे को कम करेगा.